Shrab

*हत्यारिन*

*शराब है सबाब है या कुछ और*

खुश तो आज बहुत होगी, एक बलि मिल गई...
शराब है साहिब एक जिंदगी और लील गई...
न जाने कितने इसे पीते, ओर ये कितनो को पीती..
ताज्जुब हुआ जब जवानी बोली , अब तो मैं इसे पीकर ही हूँ जीती...

"मैंने भी उससे पूछ लिया, शराब से...
ये मौत का खेल कब तक खेलेगी?
चुप क्यों है, मुँह कब खोलेगी..."


कहती है मैं कहाँ किसी को हूँ बुलाती...
ये जवानी जो है ना मुझे खुद ही है पीती...
सुनकर उसको मैंने सोचा दिल्ली अभी सो कोष है...
कसूर उसका नही ये जवानी का ही दोष है...


मैंने सोचा कितनी अजीब है ये कहानी...
आखिर मुझे एक दिन मिल ही गई जवानी...
मन में पहले जो था सोचा, इससे भी कुछ ऐसा ही था पूछा...
कहती है शराब नही सबाब है...
अब तो यही पहला और आखिरी ख्वाब है...
जिंदगी मिले या छुटे गम नही..
शराब जो न पिएं, उस जवानी में दम नही...
फिर मैं बोला कितने गन्दे तेरे विचार है...
कहती हैओ इसके बिना तो जिंदगी बेकार है...

मैं थका हारा लौट रहा था...
मन ही मन सोच रहा था...
के कितने इसे पीते, ये कितनो को पीती है...
आखिर क्यों जवानी इसमें जीती है...
*तेरा है मेरा है इसका या उसका दोष है...*
*ढूंढने की कोशिश तो कीजिये कहीं सिस्टम में हो खोट है...*

"इसको पीने में समझते मान है...
पैसे नही थे बेच दिया मकान है...
घर बेचा, घर की ईंटे बेची, ओर बेच दी जमीन है...
अब तो शर्म कर ए जवानी क्या बिक गया तेरा जमीर है…"

इसको पीकर जब ये जवानी को है पीती…
तब बाप से बेटा, भाई से बहन
मां से बेटा, बाप से बेटी, पति से पत्नी जुदा है होती...

जब वो जाता है तो खत्म एक ख्वाब होता है...
उस दिन सिर्फ वो नही तबाह एक परिवार होता है...
फिर मां, बाप बहन भाई हैं नही इंसानियत भी है तड़प जाती...
शराब है साहिब पूरा वंश हड़प जाती...


_शराब को सबाब कहने वालों बन्द करो देखना ये गन्दे ख्वाब..._
_घर परिवार जिंदगी के लिए कह दो शराब से तलाक तलाक तलाक..._
_क्योंकि फिर एक पंछी पिंजरे से हुआ है_ *आजाद...*

*कालाओरसफेदबाजार*
*अभी राठी*

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